शुक्रवार, 11 दिसंबर 2009

भजन: एकदन्त गजवदन विनायक, वन्दन बारम्बार. -संजीव 'सलिल'

गणेश भजन




संजीव 'सलिल'



एकदन्त गजवदन विनायक, वन्दन बारम्बार.

तिमिर हरो प्रभु!, दो उजास शुभ, विनय करो स्वीकार..

*

प्रभु गणेश की करो आरती, भक्ति सहित गुण गाओ रे!

रिद्धि-सिद्धि का पूजनकर, निज जीवन सफल बनाओ रे!...

*

प्रभु गणपति हैं विघ्न-विनाशक,

बुद्धिप्रदाता शुभ फल दायक.

कंकर को शंकर कर देते-

वर देते जो जिसके लायक.

भक्ति-शक्ति वर, मुक्ति-युक्ति-पथ-पर पग धर तर जाओ रे!...

प्रभु गणेश की करो आरती, भक्ति सहित गुण गाओ रे!...

*

अशुभ-अमंगल तिमिर प्रहारक,

अजर, अमर, अक्षर-उद्धारक.

अचल, अटल, यश अमल-विमल दो-

हे कण-कण के सर्जक-तारक.

भक्ति-भाव से प्रभु-दर्शन कर, जीवन सफल बनाओ रे!

प्रभु गणेश की करो आरती, भक्ति सहित गुण गाओ रे!...

*

संयम-शांति-धैर्य के सागर,

गणनायक शुभ-सद्गुण आगर.

दिव्य-दृष्टि, मुद मग्न, गजवदन-

पूज रहे सुर, नर, मुनि, नागर.

सलिल-साधना सफल-सुफल दे, प्रभु से यही मनाओ रे.

प्रभु गणेश की करो आरती, भक्ति सहित गुण गाओ रे!...

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