रविवार, 3 मई 2009

भजन: मिथिला में सजी बरात -स्व.शान्ति देवी.


मिथिला में सजी बरात

मिथिला में सजी बरात, सखी! देखन चलिए...

शंख मंजीरा तुरही बाजे, सजे गली घर द्वार।


सखी! देखन चलिए...

हाथी सज गए, घोड़ा सज गए, सज गए रथ असवार।


सखी! देखन चलिए...

शिव-बिरंचि-नारद जी नभ से, देख करें जयकार।


सखी! देखन चलिए...

रामजी की घोडी झूम-नाचती, देख मुग्ध नर-नार।


सखी! देखन चलिए...

भरत-लखन की शोभा न्यारी, जनगण है बलिहार।


सखी! देखन चलिए...

लाल शत्रुघन लगें मनोहर, दशरथ रहे दुलार।


सखी! देखन चलिए...


'शान्ति' प्रफुल्लित हैं सुमंत जी, नाच रहे सरदार।


सखी! देखन चलिए...
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2 टिप्‍पणियां:

  1. राम-बारात का सरस चित्रण मोहक है.

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  2. बहुत ही प्यारा गीत...बहुत बहुत उम्दा.

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    अंतिम पढ़ाव पर- हिंदी ब्लोग्स में पहली बार Friends With Benefits - रिश्तों की एक नई तान (FWB) [बहस] [उल्टा तीर]

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