श्री गणेश-स्तुति
संजीव 'सलिल'
हे! गजवदन विनायक वन्दन,
अर्पित अक्षत कुंकुम चन्दन.....
*
विद्या-वारिधि, बुद्धि-विधाता-
कंटक कष्ट विपद भय त्राता.
मनुज-दनुज-सुर पूजें निश-दिन-
हे जनगण के भाग्य-विधाता.
पल में रचते मरू में मधुवन,
हे! गजवदन विनायक वन्दन.....
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मोदक-प्रेमी, अक्षर-नायक,
क्षिप्र-सुलिपिविद, भाग्याविधायक.
विपुल-कलाविद, मंगलकर्ता-
वादक, नर्तक, लेखक, गायक.
हास लुटाते, हारकर कृन्दन.
हे! गजवदन विनायक वन्दन.....
*
पर्यावरण-प्रकृति के सर्जक,
सुख-समृद्धि, यश-शांति सुवर्धक.
प्रतिभा-मेधा के उन्नायक-
वर दो प्रभु हम हों यश-अर्जक.
तोड़ो प्रभु! आरक्षण-बंधन.
हे! गजवदन विनायक वन्दन.....
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शुक्रवार, 11 दिसंबर 2009
श्री गणेश-स्तुति: हे! गजवदन विनायक वन्दन -संजीव 'सलिल'
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