शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2010

मंदिर: Achal Verma

मंदिर
मंदिर की पहचान सुनाऊँ, मंदिर की पहचान,
जहां पहुँच ,मन थिर हो जाए , दिख जाए भगवान |
भक्त की श्रध्धा पत्थर की मूरत में डाले जान ,
मूरत की एक झलक हटा दे हर मन का अज्ञान |
यहाँ नाकोई उंच नीच है, सब हैं एक समान,
उम्र की कोई बात न उठती , सबको मिलता ज्ञान|
आते ही मंदिर के अन्दर, मन बन जाय महान,
पुज्य भाव भर जाए मन में, हो जाए कल्याण |
माँ की मूरत देखे हमको , अभय का दे वरदान ,
औढरदानी शम्भू विराजें , करें मंत्र का दान |
शीश झुकाए ,प्रहरी बनकर खड़े "अचल" हनुमान,
एक प्रभू के रूप अनेकों , करलें हम सब ध्यान ||

Achal Verma

--- On Wed, 2/17/10, shriprakash shukla

रविवार, 14 फ़रवरी 2010

बम बम लहरी

बम बम लहरी बम भोलेनाथ
डम डम डम डम डमरू बाजे
नंदीगन खड़े है जोड़े हाथ
भंग का रंग जमाए शंकर
विष्णु करे नृत्य देवन साथ

बम बम लहरी बम भोलेनाथ
बम बम लहरी बम भोले नाथ

गोरी का भी रूप खिल गया
तारो से सजी है रात
धरती पर भी धूम मची
शिव शक्ति का मिलन है आज

बम बम लहरी बम भोलेनाथ
बम बम लहरी बम भोले नाथ

रूप अनोखा अद्भूत ऐसा
नागो को लिये है साध
अंग भभूती, भाल चन्द्रमा
डमरू त्रिशूल, धरे दोउ हाथ

बम बम लहरी बम भोलेनाथ
बम बम लहरी बम भोले नाथ