बुधवार, 20 जनवरी 2010

सरस्वती-स्तुति: संजीव 'सलिल'

माँ मुझको ॐ-प्रकाश मिले, नित सद्भावों के सुमन खिलें.
वर ऐसा दो सत्मूल्यों के शुभ संस्कार किंचित न हिलें.
मम कलम विचारों वाणी को मैया अपना आवास करो-
मेर जीवन से मिटा तिमिर हे मैया अमर उजास भरो..

शुक्रवार, 15 जनवरी 2010

नर्मदा नामावली संजीव 'सलिल'

नर्मदा नामावली

संजीव 'सलिल'



पुण्यतोया सदानीरा नर्मदा.

शैलजा गिरिजा अनिंद्या वर्मदा.

शैलपुत्री सोमतनया निर्मला.

अमरकंटी शांकरी शुभ शर्मदा.

आदिकन्या चिरकुमारी पावनी.

जलधिगामिनी चित्रकूटा पद्मजा.

विमलहृदया क्षमादात्री कौतुकी.

कमलनयनी जगज्जननि हर्म्यदा.

शाशिसुता रौद्रा विनोदिनी नीरजा.

मक्रवाहिनी ह्लादिनी सौंदर्यदा.

शारदा वरदा सुफलदा अन्नदा.

नेत्रवर्धिनि पापहारिणी धर्मदा.

सिन्धु सीता गौतमी सोमात्मजा.

रूपदा सौदामिनी सुख-सौख्यदा.

शिखरिणी नेत्रा तरंगिणी मेखला.

नीलवासिनी दिव्यरूपा कर्मदा.

बालुकावाहिनी दशार्णा रंजना.

विपाशा मन्दाकिनी चित्रोंत्पला.

रुद्रदेहा अनुसूया पय-अंबुजा.

सप्तगंगा समीरा जय-विजयदा.

अमृता कलकल निनादिनी निर्भरा.

शाम्भवी सोमोद्भवा स्वेदोद्भवा.

चन्दना शिव-आत्मजा सागर-प्रिया.

वायुवाहिनी कामिनी आनंददा.

मुरदला मुरला त्रिकूटा अंजना.

नंदना नाम्माडिअस भव मुक्तिदा.

शैलकन्या शैलजायी सुरूपा.

विपथगा विदशा सुकन्या भूषिता.

गतिमयी क्षिप्रा शिवा मेकलसुता.

मतिमयी मन्मथजयी लावण्यदा.

रतिमयी उन्मादिनी वैराग्यदा.

यतिमयी भवत्यागिनी शिववीर्यदा.

दिव्यरूपा तारिणी भयहांरिणी.

महार्णवा कमला निशंका मोक्षदा.

अम्ब रेवा करभ कालिंदी शुभा.

कृपा तमसा शिवज सुरसा मर्मदा.

तारिणी वरदायिनी नीलोत्पला.

क्षमा यमुना मेकला यश-कीर्तिदा.

साधना संजीवनी सुख-शांतिदा.

सलिल-इष्ट माँ भवानी नरमदा.

**********************

सोमवार, 11 जनवरी 2010

सरस्वती वंदना : ३ संजीव 'सलिल'

सरस्वती वंदना : ३


संजीव 'सलिल'


*

हे हंसवाहिनी! ज्ञानदायिनी!

अम्ब विमल मति दे...

*

नाद-ब्रम्ह की नित्य वंदना.

ताल-थापमय सृजन-साधना.

सरगम कंठ सजे...

*

रुनझुन-रुनझुन नूपुर बाजे.

नटवर-चित्रगुप्त उर साजे.

रास-लास उमगे...

*

अक्षर-अक्षर शब्द सजाये.

काव्य-छंद, रस-धार बहाये.

शुभ साहित्य सृजे...

*

सत-शिव-सुन्दर सृजन शाश्वत.

सत-चित-आनंद भजन भागवत.

आत्म देव पुलके...

*

कंकर-कंकर प्रगटे शंकर.

निर्मल करें ह्रदय प्रयलंकर.

'सलिल' सतत महके...

*

बुधवार, 6 जनवरी 2010

सरस्वती वंदना : २ --संजीव 'सलिल'

सरस्वती वंदना : २

संजीव 'सलिल'

*

हे हंसवाहिनी!, ज्ञानदायिनी!!

अम्ब विमल मति दे...

*

जग सिरमौर बने माँ भारत.

सुख-सौभाग्य करे नित स्वागत.

नव बल-विक्रम दे...

*

साहस-शील ह्रदय में भर दे.

जीवन त्याग-तपोमय कर दे.

स्वाभिमान भर दे...

*

लव-कुश, ध्रुव-प्रह्लाद हम बनें.

मानवता का त्रास-तम हरें.

स्वार्थ विहँस तज दें...

*

दुर्गा, सीता, गार्गी, राधा.

घर-घर हों, काटें हर बाधा.

सुख-समृद्धि सरसे...

*

नेह-प्रेम की सुरसरि पावन.

स्वर्गोपम हो राष्ट्र सुहावन.

'सलिल' निरख हरषे...

***

दिव्यनर्मदा.ब्लागस्पाट.कॉम

Acharya Sanjiv Salil

http://divyanarmada.blogspot.com/

शुक्रवार, 1 जनवरी 2010

शुभ कामनाएं सभी को... संजीव "सलिल"

शुभ कामनाएं सभी को...

संजीव "सलिल"

salil.sanjiv@gmail.com

divyanarmada.blogspot.com

शुभकामनायें सभी को, आगत नवोदित साल की.

शुभ की करें सब साधना,चाहत समय खुशहाल की..

शुभ 'सत्य' होता स्मरण कर, आत्म अवलोकन करें.

शुभ प्राप्य तब जब स्वेद-सीकर राष्ट्र को अर्पण करें..

शुभ 'शिव' बना, हमको गरल के पान की सामर्थ्य दे.

शुभ सृजन कर, कंकर से शंकर, भारती को अर्ध्य दें..

शुभ वही 'सुन्दर' जो जनगण को मृदुल मुस्कान दे.

शुभ वही स्वर, कंठ हर अवरुद्ध को जो ज्ञान दे..

शुभ तंत्र 'जन' का तभी जब हर आँख को अपना मिले.

शुभ तंत्र 'गण' का तभी जब साकार हर सपना मिले.

शुभ तंत्र वह जिसमें, 'प्रजा' राजा बने, चाकर नहीं.

शुभ तंत्र रच दे 'लोक' नव, मिलकर- मदद पाकर नहीं..

शुभ चेतना की वंदना, दायित्व को पहचान लें.

शुभ जागृति की प्रार्थना, कर्त्तव्य को सम्मान दें..

शुभ अर्चना अधिकार की, होकर विनत दे प्यार लें.

शुभ भावना बलिदान की, दुश्मन को फिर ललकार दें.

शुभ वर्ष नव आओ! मिली निर्माण की आशा नयी.

शुभ काल की जयकार हो, पुष्पा सके भाषा नयी..

शुभ किरण की सुषमा, बने 'मावस भी पूनम अब 'सलिल'.

शुभ वरण राजिव-चरण धर, क्षिप्रा बने जनमत विमल..

शुभ मंजुला आभा उषा, विधि भारती की आरती.

शुभ कीर्ति मोहिनी दीप्तिमय, संध्या-निशा उतारती..

शुभ नर्मदा है नेह की, अवगाह देह विदेह हो.

शुभ वर्मदा कर गेह की, किंचित नहीं संदेह हो..

शुभ 'सत-चित-आनंद' है, शुभ नाद लय स्वर छंद है.

शुभ साम-ऋग-यजु-अथर्वद, वैराग-राग अमंद है.

शुभ करें अंकित काल के इस पृष्ट पर, मिलकर सभी.

शुभ रहे वन्दित कल न कल, पर आज इस पल औ' अभी..

शुभ मन्त्र का गायन- अजर अक्षर अमर कविता करे.

शुभ यंत्र यह स्वाधीनता का, 'सलिल' जन-मंगल वरे..

*******************