बुधवार, 6 जनवरी 2010

सरस्वती वंदना : २ --संजीव 'सलिल'

सरस्वती वंदना : २

संजीव 'सलिल'

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हे हंसवाहिनी!, ज्ञानदायिनी!!

अम्ब विमल मति दे...

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जग सिरमौर बने माँ भारत.

सुख-सौभाग्य करे नित स्वागत.

नव बल-विक्रम दे...

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साहस-शील ह्रदय में भर दे.

जीवन त्याग-तपोमय कर दे.

स्वाभिमान भर दे...

*

लव-कुश, ध्रुव-प्रह्लाद हम बनें.

मानवता का त्रास-तम हरें.

स्वार्थ विहँस तज दें...

*

दुर्गा, सीता, गार्गी, राधा.

घर-घर हों, काटें हर बाधा.

सुख-समृद्धि सरसे...

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नेह-प्रेम की सुरसरि पावन.

स्वर्गोपम हो राष्ट्र सुहावन.

'सलिल' निरख हरषे...

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दिव्यनर्मदा.ब्लागस्पाट.कॉम

Acharya Sanjiv Salil

http://divyanarmada.blogspot.com/

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